KaDaM...
Friday, 1 July 2016
फिर वही तनहाई मयस्सर होगी
उन्हीं अफसानों में दिन बसर होंगे
रतजगों का क्या कहूँ साहिब
मौजूदगी से आपकी हम बेखबर होंगे
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